जिंदगी में हर इंसान को एक समय पर डर लगता है। बचपन में हम अंधेरे से डरते हैं और धीरे-धीरे जैसे हम बड़े होते जाते हैं। यह डर भी अपना रूप बदलने लगता है।
धीरे-धीरे मौत का, हमारे बहुत ही प्यारे इंसान को खो देने का और Rejection का डर हमारे मन में जगह ले लेता है। बहुत से लोग दूसरों के साथ बहुत तरीकों से जुड़े होते हैं, खासकर वो लोग जो अपनों की परवाह करते हैं।
बहुत बार हमारे मन में एक एहसास जगह ले लेता है कि वो लोग जिन्हें हम प्यार करते हैं और अपना मानते हैं, उन्हें हमारी जरूरत ही नहीं है। चाहे वो नौकरी में हो, प्यार में या दोस्ती में। Rejection का यह एहसास आपके अंदर बहुत सारे नकारात्मक विचारों को जन्म देता है। इस Rejection के डर की शुरुआत तब होती है जब हमें लगता है कि हमारे माता–पिता हमसे शर्तिया प्यार करते हैं।
मतलब कि जब हम कोई ऐसा काम करें जो उन्हें अच्छा लगता है तो वो हमारे ऊपर बहुत प्यार लुटाते हैं और वही जब हम कोई ऐसा काम करते हैं, जो उन्हें नहीं पसंद है तो हमें उनकी नाराजगी झेलनी पड़ती है। हमें लगने लगता है कि वो हमसे प्यार नहीं करते। हम इसे उनकी नफरत समझने लगते हैं । लेकिन वो सिर्फ उनका गुस्सा होता है, नफरत नहीं।
Rejection का यह डर सबके मन में होता है और अगर आपके मन में भी यह डर अपनी जगह बनाए हुए हैं। तो आज इस लेख में मैं आपको कुछ ऐसे तरीके बताऊंगी जो आपका यह डर कम करने में मदद करेंगे।
1) Rejection से सीखो।
मान लो आपने एक नौकरी के लिए आवेदन दिया था और तुम्हें वो नौकरी चाहिए ही थी। तुम्हारा इंटरव्यू भी बहुत अच्छा गया था। लेकिन तुम्हें नौकरी नहीं मिल पाई। उस वक्त थोड़े समय के लिए तुम बहुत ही निराश होकर हारा हुआ महसूस करोगे।
लेकिन थोड़ा रुक कर जानने की कोशिश करो कि तुम्हें नौकरी ना मिलने का कारण क्या था। स्थिति को पूरी तरह जानने पर तुम्हें पता लगता है कि तुम्हें अपने कौशल पर थोड़ा काम करने की जरूरत है और एक नया software भी सीखने की जरूरत है।
अभी जो मजबूत इंसान होगा, वो इस Rejection पर रोएगा नहीं। बल्कि जो कमी उसके इंटरव्यू में रह गई थी, उसे पूरी करेगा और जो चीजें सीखनी जरूरी है, उन्हें सीखेगा।
अब मान लो तुम उसको improve कर लेते हो और कुछ समय बाद तुम्हें पता लगता है कि जो कौशल तुमने हासिल किया और जो software तुमने सीखा। उसके लिए बहुत ही बड़ी कंपनी ने बड़े–बड़े पैकेज के साथ नौकरियों निकाली है और तुम्हारे पास एक सुनहरा मौका है।
तुम्हें Rejection पर रोना है या Rejection से सीखना है– यह तुम पर निर्भर करता है। अगर प्यार में कभी किसी को rejection मिलती है, तो याद रखो उस इंसान ने तुम्हें खोया है, तुमने उसे नहीं खोया है। उसने तुम्हें मौका दिया है तुम्हारी जिंदगी में किसी ऐसे इंसान को ढूंढने का जो तुमसे प्यार करें और तुम्हें खोने से डरे।
2) खुद की कीमत जानो।
अपनी कीमत को जानो कि तुम क्या हो। अगर कोई तुम्हें ठुकराता है तो निराश मत होना। बस इतना समझ लो कि जो उन्हें चाहिए, वो शायद तुम उन्हें नहीं दे सकते या तुम्हारी क्षमता कुछ और है। तुम कुछ और करना चाहते हो या तुम उस काम के लिए बने ही नहीं हो। जरूरी नहीं है इस जिंदगी में हर इंसान को हर चीज आनी ही चाहिए।
बस इतना जान लो कि हर इंसान अलग है। हर इंसान की अपनी एक खासियत है। जब तक तुम अपनी खासियत जानते हो, अपनी खासियत पहचानते हो। तुम्हें खुद के बारे में किसी जानकारी की जरूरत नहीं है।
3) क्यों है यह Rejection का डर?
समझो कि किस वजह से यह rejection का डर तुम्हें चिंता देता है। हो सकता है कि तुम प्यार में ठुकराए जाने से डरते हो क्योंकि तुम्हें अकेलेपन से डर लगता है या फिर तुम्हें कोई नौकरी चाहिए और तुम उस नौकरी से ठुकराए जाने से डरते हो क्योंकि तुम्हारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
लेकिन एक बात बताओ,
क्या यह डर किसी भी चीज का solution है?
इन सभी परेशानियों का हल डर नहीं है। इन सब का समाधान है रास्ते ढूंढना कि अगर यह सब मेरी जिंदगी में है तो मैं क्या कर सकता हूं और मैं इनका सामना कैसे कर सकता हूं।
4) अपने डर का सामना करो।
अपने डर का सामना करना सीखो। तुम्हें लगता है कि जिस चीज से तुम डरते हो, तुम अगर उसका सामना नहीं करोगे तो तुम्हें Rejection नहीं मिलेगी। लेकिन याद रखो कि अगर तुम ऐसे ही डरते रहे तो तुम्हें तुम्हारी मंजिल भी कभी नहीं मिलेगी। अगर तुम्हें अपनी मंजिल तक पहुंचना है तो रास्ते में आने वाली हर स्थिति का सामना करना ही होगा। तुम्हें सफलता तभी मिलेगी।
हो सकता है रास्ते में Rejection मिले, बहुत बार मिले लेकिन तुम कोशिश करते रहो। तब तक करते रहो जब तक तुम्हें तुम्हारी मंजिल नहीं मिलती और तुम्हें वो नहीं मिलता जो तुम्हें चाहिए।
5) खुद से नाकारात्मक बातें करना बंद करो।
सबसे जरूरी बात तो यह है की जो तुम खुद से नकारात्मक बातें करते रहते हो, उसे बंद करो। जब भी इंसान Rejection का सामना करता है, तो वो खुद में ही गलतियां निकालने बैठ जाता है कि–
- मैंने ही सब खराब किया।
- मैं अच्छा नहीं हूं।
- मुझे कुछ नहीं आता।
हां, तुम्हारी गलती हो सकती है। लेकिन जो होना था, वो हो गया। तुम्हें उन गलतियों पर रोना नहीं है बल्कि उनसे कुछ सीखना है।
खुद से यह नकरात्मक बातें करके तुम अपने आत्मविश्वास को खत्म कर रहे है। तुम्हारी सकारात्मक सोच शायद चीजों को वैसे ना चला पाए जैसा तुम चाहते हो। लेकिन यह तुम्हारे नजरिए को बदलने में बहुत अहम किरदार निभाती है। जो तुम्हारे आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है। अगर तुम्हें खुद पर विश्वास है, तो तुम कुछ भी कर सकते हो। किसी भी चीज को पा सकते हो और तुम्हारे आगे यह REJECTION जैसे शब्द बहुत छोटे होंगे।
इस लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद। मुझे उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा।