Overthinking या यूं कह लो कि ऐसी समस्याएं पैदा करना जो की असलियत में होती ही नहीं। हमें यह overthinking करने की आदत हो चुकी है। बहुत से लोगों ने इसको अपनी आदत बना लिया है।
हम चीजों को बार–बार सोचते हैं और उसका परिणाम निकालने की कोशिश करते हैं लेकिन यह भूल जाते हैं कि हमारे बस में सिर्फ काम करना है। हमें मेहनत करनी है। खुद अपनी तरफ से अच्छा करना है। लेकिन परिणाम निकालना हमारे बस में नहीं है। तो फिर बार–बार उस चीज को सोचकर फायदा ही क्या है।
हालांकि overthinking इतनी बड़ी problem नहीं है अगर आप सकारात्मक तरीके से overthinking करो तो। लेकिन आप ऐसा करते ही नहीं। बल्कि आप वो हर चीज सोचते हो जो कि गलत हो सकती है और ऐसे ही अपने दिमाग में नकरात्मकता को जन्म देते हैं।
यहीं overthinking आपके सामने एक ऐसी परेशानी पैदा करती है जो की न कभी थी, न है और न ही शायद कभी होगी। लेकिन इसकी वजह से आप बिना वजह चिंता करने लगते हैं। किसी भी सामान्य स्थिति को बहुत ही चुनौतीपूर्ण मानने लगते हैं और अपना आत्मविश्वास खो देते हैं।
असलियत में आपके दिमाग में जब भी कोई परेशानी होती है, तो वो परेशानी आपसे इतना नहीं जुड़ती, जितना आप उससे जुड़ जाते हो। जब ऐसा होता है, आप खुद पर भरोसा खो देते हो और अपने लक्ष्य से विचलित होने लगते हो। कुछ भी नया करने से डरते हो।
Overthinking आपको किसी काम की शुरुआत करने से पहले ही फेल कर देती है आपके मन में शक डालकर।
पूछो खुद से कि क्या यह सही है?
आपको अपनी इस Overthinking की आदत को छोड़ना होगा। वो भी जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी। आपकी Overthinking आपको आपके भविष्य के लिए तो योजना बनाने नहीं देती बल्कि आपने अपनी मेहनत से जो काम किया है, उसके बारे में भी आपके मन में शंका भरती है।
योजना बनाने का मतलब है की तुम्हें देखना है कि मैं जो काम कर रहा हूं, उसके रास्ते में अच्छा क्या हो सकता है और बुरा क्या हो सकता है। लेकिन आपका ध्यान सिर्फ आपके लक्ष्य पर केंद्रित होना चाहिए।
योजना बनाने का यह मतलब नहीं है कि आपको चिंता करनी है। बल्कि आपको सोचना है कि अगर रास्ते में यह परेशानी आ भी गई तो आप इसको हल कैसे करोगे। तुम्हारे बार–बार समस्या को सोचने से वो खत्म नहीं होने वाली। तुम्हारे उस समस्या के हल को ढूंढने से वो खत्म होगी।
तुम यह क्यों नहीं देख पा रहे हो कि जब आप कुछ सोचते हो, उसमें अगर कितना कुछ बुरा हो सकता है तो कितना कुछ अच्छा भी तो हो सकता है। लेकिन आप वो देख ही नहीं पाते। Overthinking करो, लेकिन सिर्फ सकारात्मक बातें सोचो और उन्हीं पर ध्यान दो।
दूसरी बात, तुम्हारी जिंदगी का सबसे जरूरी दिन आज है। अपने आज में जियो और उसे खूबसूरत बनाओ। मेरे कहने का यह मतलब नहीं है कि आपको भविष्य की परवाह नहीं करनी है। भविष्य के बारे में सोचो, लेकिन ज्यादा मत सोचो। अपने भविष्य की सोच को अपने आज में जगा दो पर उतनी ही जितनी देनी चाहिए। जरूरत से ज्यादा कोई चीज भी हानिकारक ही होती है। इस overthinking को अपने आज पर हावी मत होने दो।
बस तुम्हें इन्हीं बातों को समझना है। सोचना और बहुत ज़्यादा सोचना, इसमें बहुत फर्क है। तुम्हारी overthinking तुम्हें, तुम्हारे समय को और तुम्हारे रिश्तों को खराब कर रही है। इसको ऐसा मत करने दो।
इस article को पढ़ने के लिए धन्यवाद।